मुजफ्फरपुर, मई 27 -- मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। पत्नी जैसा समर्पण किसी अन्य रिस्ते में नहीं होता। बेटी जन्म लेती है। बड़ी होकर माता-पिता के घर को छोड़कर विवाह के बाद अपनी जाति, गोत्र, रूप, शृंगार सब बदल लेती है। अपने पति के सुख-दुख का हिस्सा बन कर पूरा जीवन बिताती है। ये बातें सोमवार को राधानगर पताही चौसीमा मधुबनी न्यू फोर लेन के पास मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान द्वारा आयोजित दस दिवसीय विष्णु महायज्ञ में प्रवचन के दौरान कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कही। पतिव्रता के प्रसंग में उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम को वनवास हुआ था। माता सीता का नहीं। मगर माता सीता अयोध्या का राजमहल को छोड़कर पति के साथ वनवास के लिए निकल पड़ीं और 14 वर्षों के वनवास तक उनके सुख-दुख का हिस्सा रहीं। इधर सेवा संस्थान के अध्यक्ष कार्यकारी अध्यक्ष कुश मिश्रा ने बत...