हरिद्वार, अक्टूबर 11 -- योगगुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि हमारे प्राचीन गुरुकुलों की गुरु-शिष्य परंपरा में ज्ञान के साथ-साथ नैतिकता, चरित्र की शुद्धता, वाणी-व्यवहार में मृदुता तथा आचरण सिखाया जाता था। प्राचीन गुरुकुलों से शिक्षित होकर विद्यार्थी विश्व का नेतृत्व करते थे। पतंजलि गुरुकुलम् भी प्राचीन ऋषि परंपरा का अनुसरण कर विद्यार्थियों को विश्व नेतृत्व के लिए तैयार कर रहा है। शनिवार को पतंजलि गुरुकुलम् का आठवां वार्षिकोत्सव पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में सम्पन्न हुआ। इस दौरान स्वामी रामदेव ने कहा कि महर्षि दयानंद, भगवान वस्वन्ना, संत मणिबाड़ेश्वर, संत ज्ञानेश्वर, संत रविदास, संत कबीरदास आदि सभी पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओं ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, बंधनों, भेदभाव की सारी दीवारों को तोड़कर एकत्व, सहअस्तित्व, सामंजस्य का संदेश दिया।

हिंदी हिन्द...