वाराणसी, सितम्बर 22 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। शिव गया कहीं जाने वाली काशी में अमावस्या तिथि पर पितरों की विदाई के साथ श्राद्ध आदि कर्म को विराम दिया गया। पितृपक्ष के अंतिम दिन रविवार को गंगा घाटों से पिशाचमोचन तीर्थ तक हजारों आस्थावानों का हुजूम दिखाई दिया। शाम को लोगों ने बांस की कइन (छोटा टुकड़ा) में अनाज की पोटली बांध कर दीपक के साथ घर के मुख्य दरवाजे के बाद रखा। यह पितरों की विदाई का लोकाचार है। पितृ विसर्जन के दिन पिशाचमोचन पर मुख्यत: अकाल मृत्यु के शिकार लोगों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान, तेल दान और घोड़ा दान की प्रक्रिया पूर्ण की गई। मान्यता है कि तेल दान और घोड़ा दान से अकाल मृत्यु के शिकार लोगों को मुक्ति मिल जाती है। जिन लोगों ने अपने पितरों का गया श्राद्ध कर लिया है उन्होंने तर्पण और सिद्धा दान किया। जिन्होंने गया श्राद्ध नहीं...