नई दिल्ली, सितम्बर 28 -- अजित रानाडे,अर्थशास्त्री और सीनियर फेलो, तक्षशिला इंस्टीट्यूशन न्यायिक सुधार का मुद्दा एक बार फिर गरम है। ऐसे कई संकेत हैं, जो इसकी जरूरत की ओर इशारा करते हैं। पहला, लंबित मामलों की बड़ी संख्या। इस साल जनवरी तक देश के उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों में लगभग 5.1 करोड़ मामले लंबित थे। इनमें से लगभग 12 प्रतिशत मुकदमे 10 वर्षों से भी अधिक समय से और लगभग आधे मामले तीन वर्षों से अधिक समय से लंबित थे। सर्वोच्च न्यायालय में इनके अतिरिक्त 82,000 मामले और लंबित थे। 2020 और 2024 के बीच, कुल लंबित मामलों की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि, मामले को निपटाने की दर भी काफी प्रभावी हो गई है। 2024 में उच्च न्यायालयों में मुकदमा निपटाने की दर (सीसीआर) 94 प्रतिशत तक पहुंच गई, जबकि कुछ न्यायालयों ने लगातार तीन वर्...