पाकुड़, सितम्बर 15 -- महेशपुर। आश्विन माह की अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला जितिया व्रत रविवार को मनाया गया। 13 सितंबर को नहाय-खाय हुआ। 14 सितंबर को महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रहीं। व्रत का समापन 15 सितंबर की सुबह पारण के साथ किया जाएगा। मान्यता है कि यह कठिन व्रत माताएं अपने पुत्रों के दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सलामती के लिए करती हैं। यह व्रत हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। व्रत के प्रारंभिक दिन नहाय-खाय की परंपरा पुरी हुई। जिसमें व्रती महिलाओं ने सात्विक भोजन ग्रहण किया। जितिया व्रत को जीवितपुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत में इस व्रत का उल्लेख मिलता है। दरअसल अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्नास्त्र का इस्तेमाल किया। उत्तरा के ...