नई दिल्ली, सितम्बर 21 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि 'किसी नाबालिग लड़की के महज निजी अंगों को छूना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) या यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जाएगा। शीर्ष अदालत ने साफ किया है कि इस तरह का कृत्य पॉक्सो अधिनियम के तहत 'गंभीर यौन हमला के अपराध के साथ-साथ आईपीसी की धारा 354 के तहत 'महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के अपराध के समान होगा। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लक्ष्मण जांगड़े की अपील का निपटारा करते हुए यह फैसला दिय है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता जांगड़े को आईपीसी की धारा 376एबी और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत 20 साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम क...