मुंबई, अक्टूबर 28 -- पारिवारिक संपत्ति को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक हिंदू परिवार में नाती या नातिन को नाना की संपत्ति पर जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है। इस फैसले में प्रमुख हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 की सीमा को स्पष्ट किया गया है। इस अधिनियम के मुताबिक संयुक्त परिवार की संपत्ति में सह-हिस्सेदार के रूप में बेटियों को समान अधिकार दिया गया है। क्या है मामलाबॉम्बे हाई कोर्ट ने यह फैसला विश्वंभर बनाम सॉ सुनंदा मामले में सुनवाई के दौरान सुनाया। केस में बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष, नातिन (वादी) ने अपने नाना की पैतृक संपत्तियों के बंटवारे और उसमें हिस्सा होने का दावा किया। नाना का निधन हो चुका था, और उनके पीछे चार बेटे और चार बेटियां थीं, जिनमें से वादी की मां (नाना की बेटी) जीवित थी। कार्यवाही के दौरान...