नई दिल्ली, सितम्बर 19 -- हेल्थ इंश्यारेंस पॉलिसी बेचते वक्त कैशलेस इलाज का दावा करने वाली कंपनियां दावा पैसे के भुगतान के लिए मरीजों और उनके परिजनों को चक्कर कटा रही हैं। देशभर में ऐसी शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसमें मरीज के भर्ती होने पर बीमा कंपनी ने इलाज खर्च देने से इनकार कर दिया या फिर उतनी धनराशि का भुगतान नहीं किया, जितनी इलाज पर खर्च हुई। आलम यह है कि इलाज खर्च से जुड़े क्लेम को खारिज करने के लिए कंपनियां डॉक्टर की सलाह और मेडिकल जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर रही हैं। क्लेम को खारिज करने के लिए ऐसे आधारहीन तर्क दिए जा रहे हैं, जो नियमों से परे हैं।डॉक्टर कहें भर्ती करो, कंपनी कहे- ओपीडी में हो जाएगा ठीक डॉक्टर मरीज की मेडिकल स्थिति और जांच रिपोर्ट्स के आधार पर भर्ती कर रहे हैं, लेकिन बीमा कंपनियां एक लाइन में यह लिखकर क...