नई दिल्ली, सितम्बर 24 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने संपत्ति धोखाधड़ी के एक मामले में एक अभियुक्त को राहत देने से इनकार करते हुए उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी, साथ ही इस मामले में अधीनस्थ अदालतों की न्यायिक अनुशासनहीनता और अनुपयुक्तता पर गंभीर चिंता जताई। निचली अदालतों पर उच्च न्यायालय का गुस्सा इसलिए भड़का क्योंकि आरोपी शख्स की अग्रिम जमानत की याचिका बार-बार यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज होने के बाद भी अधीनस्थ कोर्ट ने उसे गिरफ्तारी से संरक्षण दे दिया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने यह तक कहा कि जमानत अदालतें वसूली मंच नहीं हैं और भुगतान किसी अभियुक्त को आपराधिक दायित्व से मुक्त नहीं करता है। जस्टिस गिरीश कठपालिया ने इस मामले में आरोपी की पांचवीं अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि एक मजिस्ट्रेट और एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने ...
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