बरेली, अक्टूबर 12 -- बरेली। विंडरमेयर थिएटर में बीन्ग एसोसिएशन के संहिता मंच थिएटर फेस्टिवल में शनिवार को उजागर ड्रामाटिक एसोसिएशन और वेद सत्पथी के नाटक मिथ्यासुर का मंचन हुआ। धर्म और राजनीति के मेलजोल से सत्य और मिथ्या की सीमा रेखा कैसे धूमिल होती जाती है, यही इस नाटक का सार है। प्रणय पांडे के लिखे नाटक को अजीत सिंह पलावत ने निर्देशित किया है। मिथ्यासुर 18वीं सदी के हिंदुस्तान का दृश्य सामने लाता है। प्राचीन मंदिर का पुजारी सोमदेव अपने आराध्य राक्षस राज कुम्भ की पूजा करता है। कुम्भ कोई मामूली राक्षस नहीं। वो सोमदेव के सपनों के माध्यम से पूरे राज्य पर नियंत्रण रखता है, राजा तक पर उसका प्रभाव है। वो बलि लेता है और डर के बल पर पूरे साम्राज्य को इशारों पर नचाता है। फिर राक्षस अचानक सोमदेव के सपनों में आना बंद कर देता है। अब कोई राज्य चलाए तो...