मुजफ्फर नगर, दिसम्बर 24 -- धर्म और समाज की नींव एकांतवाद पर नहीं, अनेकांतवाद पर रखी जाती है। जहां समझना और समझाना दोनों जरूरी है। आज व्यक्ति अहंकार के चलते समझना और समझाना नहीं अपनी बात को सत्य ठहरना चाहता है जिसकी परिवार, समाज व देश में टकराव बना हुआ है। क्रांतिवीर मुनि प्रतीक सागर महाराज ने दैनिक धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में कहा देश को खतरा गद्दारों से नहीं पहरेदारों से है। धर्म को खतरा नास्तिक से नहीं, तथाकथित धर्मात्माओं से है। जो धर्म की चादर ओढ़ कर पाप और गुनाहों को छुपाने के लिए धर्म का नाम लेते हैं। धर्म जाति और संप्रदाय की दीवार नहीं मानता है। धर्म अनंत आकाश की तरह निर्मल है। मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज ने आगे कहा कि धर्म की व्याख्या करना सरल है। अगर धर्म को जीना मुश्किल है। धर्मात्मा हो...