नई दिल्ली, अक्टूबर 16 -- प्रदोष व्रत हर माह में 2 बार पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में। यह व्रत त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है। जब प्रदोष तिथि शनिवार को हो, तब उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शंकर की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी संकट, रोग, भय और आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस साल धनतेरस और शनि प्रदोष व्रत का संयोग बना रहा। यानी 18 अक्टूबर को शनि प्रदोष व्रत भी है और धनतेरस भी। ऐसा संयोग बहुत दुर्लभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, धनतेरस पर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से धन और संपत्ति की वृद्धि होती है, वहीं शनि प्रदोष व्रत और शिव पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी प...