नई दिल्ली, अगस्त 12 -- किसी को राजनीतिक दल बनाने से सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता कि वह दोषी साबित हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को वैधानिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उसके संवैधानिक अधिकार भी छीन लिए जाएं। इस पीआईएल में मांग की गई थी कि दोषसिद्ध अपराधियों को राजनीतिक दल बनाने और टिकट बांटने से रोका जाए। यह पीआईएल 2017 में दाखिल की गई थी। यह भारतीय प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के विवरण से संबंधित है। यह मुद्दा उठाती है कि क्या भारत के चुनाव आयोग दोषी व्यक्तियों द्वारा गठित राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म करने का अधिकार रखता है। कोर्ट ने क्या कहाजस्टिस सूर्य कांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि पीआईएल में रोचक मुद्दा उठा...