नई दिल्ली, दिसम्बर 19 -- समुदाय से बाहर शादी करने के चलते एक शख्स ने अपनी वसीयत से बेटी को बाहर कर दिया था। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो अदालत से भी बेटी को झटका लगा है। शीर्ष न्यायालय का कहना है कि वादी का अपने पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। साथ ही कहा कि वसीयत लिखने वाले को हम अपनी जगह पर नहीं रख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। शायला जोसेफ नाम की महिला के 9 भाई-बहन हैं। वह अपने पिता एनएस श्रीधरन की संपत्ति में बराबर का अधिकार मांग रही थीं। जबकि, श्रीधरन ने समुदाय के बाहर शादी करने के चलते शायला को संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही थी। जस्टिस चंद्रन ने फैसला लिखते हुए कहा, 'साबित हो ...