हाथरस, अगस्त 25 -- दाऊजी मेले में अब नहीं फिकतीं धूल की पोटली धर्मेन्द्र चौधरी, हाथरस। कई दशक पहले तक मेला श्री दाऊजी महाराज में जहां ऊंचे-ऊंचे मिट्टी के टीलों पर बैठकर लोग दंगल में कुश्ती के दांव पेंच देखते थे। तो वहीं रात के वक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुफ्त उठाते थे। उस दौर में जहां धूल मिट्टी की पोटली फिंका करती थीं। आज मेले का स्वरूप जहां लगातार बदलता ही जा रहा है। तो मिट्टी के टीले भी खत्म होते जा रहे है। आज भी मेला आने पर पुराने लोग उन दिनों की स्मृतियों को याद करते हैं। एक वक्त था जब लक्खी मेला श्री दाऊजी महाराज मंदिर के पूर्व की तरफ लगता था। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को छोड़कर ज्यादातर प्रोग्राम दिन में होते थे। दशकों पहले लगने वाले मेले के स्वरूप और उसमें होने वाले कार्यक्रमों की याद लोगों के हृदय में आज भी कौंध जाती है। दशकों प...
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