धर्मशाला, जुलाई 3 -- तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी और उनकी मौत के बाद गदेन फोडरंग ट्रस्ट के पास भविष्य के उत्तराधिकारी को चुनने और मान्यता देने का एकमात्र अधिकार रहेगा। उन्होंने चीनी दखलंदाजी को खारिज करते हुए दो टूक कहा कि किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। बावजूद इसके जैसे-जैसे दलाई लामा 90वें जन्मदिन (6 जुलाई) के करीब पहुंच रहे हैं, वैसे-वैसे तिब्बतियों में इस बात की चिंता घर कर रही है कि अगर दलाई लामा नहीं रहे तो क्या होगा? दरअसल, इस चिंता की पीछे दलाई लामा का वह विराट व्यक्तित्व है, जिसे उन्होंने दशकों से बनाए रखा है। 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो, जो 1959 में तिब्बत से भाग कर भारत आए थे, ने इन साढ़े छह दशकों में भारत में रहते हुए भी अपने न...