नई दिल्ली, दिसम्बर 11 -- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान बेहद अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अवमानना के लिए सजा देने की शक्ति का उद्देश्य न्यायाधीशों को आलोचना से बचाना नहीं है, बल्कि संस्थान की गरिमा को बनाए रखना है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने यह टिप्पणी बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द करते हुए की। हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में नवी मुंबई की एक निवासी को डॉग माफिया से जुड़े एक सर्कुलर के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि जहां अवमानना के मामलों में दंड देने का अधिकार है, वहीं क्षमा करने और दया दिखाने की शक्ति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है- विशेषकर तब जब अवमाननाकर्ता सच्चे मन से पछतावा जताए।एक आवासीय सोसाइटी के सर्कुलर से शुरू हुआ विवाद यह मामला जनवरी 2025 के ए...