दरभंगा, अक्टूबर 31 -- बहेड़ी। वर्तमान के चुनावों की तुलना स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के आरंभिक काल के विधानसभा चुनावों से नहीं की जा सकती। उस समय के मतदाता चुनाव को पवित्र धार्मिक अनुष्ठान की तरह मानते थे। मतदाता मतदान के दिन अलसुबह स्नान कर सज-धजकर मतदान केंद्रों पर वोट गिराने के लिए पहुंचते थे। उम्मीदवारों के बीच आज की तरह प्रतिस्पर्धा नही देखी जाती थी। उनमें मतभेद तो था, लेकिन मनभेद नही होता था। बहेड़ी के प्रदीप कुमार चौधरी ने 1952, 1957 व 1962 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में इस क्षेत्र से निर्वाचित होने वाली विधायक स्व. कृष्णा देवी के 1969 के मध्यावधि चुनाव के प्रचार के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन दिनों महिलाएं वोट देने के आश्वासन के अतिरिक्त खोईंछा भी भरती थीं। श्री चौधरी ने कहा कि आठ वर्ष की उम्...
		
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