बदायूं, सितम्बर 9 -- बदायूं। आलू की खेती में किसान परंपरागत रूप से डीएपी का प्रयोग करते हैं, लेकिन वर्तमान किसान डीएपी के अन्य विकल्प भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे आलू की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। जिला कृषि अधिकारी मनोज रावत ने कहा कि डीएपी का अत्यधिक प्रयोग न करके बल्कि अन्य विकल्पों का संतुलित प्रयोग करें। जिससे लागत में कमी होगी और उत्पादन बढ़ेगा एवं संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से मिट्टी की सेहत भी सुरक्षित रहेगी। किसान सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) में 16 प्रतिशत फास्फोरस, 12 प्रतिशत सल्फर एवं लगभग 21 प्रतिशत कैल्शियम होता है। यह आलू की गुणवत्ता एवं स्वाद में वृद्धि करता है। एनपीके (12:32:16) के प्रयोग से 12 प्रतिशत नाइट्रोजन, 32 प्रतिशत फास्फोरस, 16 प्रतिशत पोटास की मात्रा के साथ उर्वरक की संतुलित मात्रा...