निखिल पाठक। नई दिल्ली, अगस्त 14 -- दिल्ली में डीएनए जांच ने दुष्कर्म के आरोप में फंसे एक व्यक्ति के माथे से कलंक मिटा दिया। अदालत में पेश वैज्ञानिक जांच में यह साबित हो गया कि गर्भवती महिला के भ्रूण का जैविक पिता आरोपी नहीं था।कोर्ट ने आरोपी को किया बरी एफएसएल की रिपोर्ट ने न केवल अभियोजन की कहानी को कमजोर किया, बल्कि पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नेहा की कोर्ट ने वैज्ञानिक जांच के आधार पर आरोपी को राहत देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया। बता दें कि दुष्कर्म के आरोप की वजह से आरोपी व्यक्ति को करीब साढ़े पांच महीने तक जेल में रहना पड़ा था। मामला अंबेडकर नगर थाना क्षेत्र का है। नवंबर 2024 में पुलिस को एक महिला ने शिकायत दी थी कि आरोपी से उसका छह साल से संबंध था। उसका आरोप था कि दिसंबर 2020 में शादी का झांसा देकर आरोपी ने उसके स...