बांका, दिसम्बर 22 -- बांका, निज प्रतिनिधि। नववर्ष की शुभकामनाएं अब मोबाइल की स्कीन तक सिमट गई है। एक क्लिक, एक मैसेज और सैकडों लोग इसके साक्षी हो गए। इसी तेज रफ्तार डिजिटल दुनिया में कहीं पीछे छूट गई है वे ग्रीटिंग कार्डों की यादें, जिससे कभी नए साल की शुरूआत हुआ करती थी। डिजिटल युग में ग्रीटिंग कार्ड बजारों से गुम हो गए हैं। अब नववर्ष पर लोगों को डाकिए का इंतजार नहीं रहता है। समय बदला है, तकनीक आगे बढी है, मगर भावनाओं की वह सुकून भरी अभिव्यक्ति अब दुर्लभ हो गई है। जब इंतजार भी एक उत्सव था। दो-तीन दशक पहले नवंबर-दिसंबर आते ही बाजारे रंग-बिरंगे ग्रीटिंग कार्ड से पट जाते थे। लोग हफ्तों पहले अपने प्रियजनों के लिए कार्ड चुनते थे। डाक से आने वाले हर लिफाफे का इंतजार उत्सव जैसा लगता था। डाकिए की साइकिल की घंटी बजते ही मन में उम्मीद जगती थी कि श...