रांची, अक्टूबर 21 -- झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन करने वाले और राज्य के 3 बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन को "दिशोम गुरु" या "गुरुजी" कहा जाता है। 'दिशोम' एक संथाली शब्द है, जिसका मतलब समाज या देश होता है। गुरु का मतलब मार्गदर्शक या नेता होता है। शिबू सोरेन को यह उपाधि उनके द्वारा किए गए योगदानों के चलते आदिवासी समाज के लोगों ने दी थी। "झारखंड गाथा" की इस कड़ी में जानिए नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी। शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज के लिए अहम योगदान दिए। इनमें आदिवासियों से छीनी गई जमीन वापस दिलाना, उन्हें खेती करने के तौर-तरीके से वाकिफ कराना, शराब-नशा को छोड़ने के लिए प्रेरित करना, उन्हें शिक्षित करना, कुटीर उद्दोग और महिला शिल्प केंद्र की स्थापना करने जैसे तमाम काम शामिल थे। लेकिन, इन सब में एक योगदान बेहद अहम था, जिसके लिए शिबू सोरेन ने खूब क...