नई दिल्ली, अगस्त 22 -- यहां सब कुछ पुनरावृत्त होता है। पृथ्वी करोड़ों वर्ष पुरानी है, पहाड़, जल, हवा, सब कुछ। अरबों लोगों ने उसी हवा में सांस ली है। तुम भी पुनरावृत्त होते हो। तुम्हारे शरीर के सभी कण पुराने हैं; तुम्हारे विचार और तुम्हारी भावनाएं पुनरावृत्त हैं, तुम्हारा मन भी पुनरावृत्त है। चेतना पुनरावृत्त है, वही पुरानी चेतना है। अपने आप को याद दिलाओ कि यहां सब कुछ पुनरावृत्त है और फिर शांत हो जाओ। सब कुछ वहीं जाता है, जहां से आया है। पुनरावृत्ति फिर से शुद्धता और स्वच्छता लाती है। ज्ञान मन को पुनरावृत्त करता है। ज्ञान सब कुछ नवीन रखता है। इसीलिए, इसी सृष्टि की बार-बार पुनरावृत्ति हो सकती है। प्रज्ञावान मन को सब-कुछ नवीन लगता है। यदि तुम ज्ञान में नहीं रहते, तब मन अशुद्ध होने लगता है। ज्ञान वापस मन को शुद्ध करता है। पुनरावृत्ति स्वच्छत...