वाराणसी, सितम्बर 9 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। तीन प्रकार के ऋणों में सर्वोपरि पितृऋण चुकाने के लिए श्राद्ध-तर्पण के विधान सोमवार को पितृपक्ष प्रतिपदा पर पूरे किए गए। चावल और जौ के पिंड पितृऋण से मुक्ति का माध्यम बने। भीड़ का मुख्य केंद्र पिशाचमोचन तीर्थ रहा। वहीं गंगा का जलस्तर बढ़ा होने के कारण घाट किनारे की गलियों और सड़क पर पिंडदान कराया गया। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि में पिशाचमोचन तीर्थ पर सुबह से भी तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ रही। तीर्थ के सभी घाटों पर समान रूप से भीड़ दिखी। पिशाच मोचन तालाब की सीढ़ियों पर भी वैदिकों ने श्राद्ध का कर्मकांड पूर्ण किया। यहां भी कुंड का जलस्तर बढ़ा होने के कारण लोगों को अपनी बारी के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ी। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आए तीर्थयात्रियों में से ज्यादातर ने श्राद्ध पिशाच मोचन पर संपदित ...