रांची, जून 16 -- रांची, प्रमुख संवाददाता। कोलकाता से आए कथावाचक श्रीकांत शर्मा ने कहा कि श्री भगवान भक्तों की रक्षा करते हैं। जिसके रक्षक भगवान हैं, उसे कोई मार नहीं सकता। जो प्रभु का दास हो, वो कभी हार नहीं सकता। भगवान सभी भक्तों का मंगल करते हैं। उनका विधान सभी को कष्ट से बचाता है। इसलिए, हम सभी को धैर्य से सुख-दुख में समान भाव वाला बना रहना चाहिए। मानव को उनके भाग्य से ही सुख-दुख मिलता है। वे सोमवार को अग्रसेन भवन सभागार में श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन सोमवार को प्रवचन कर रहे थे। कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराजश्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत, श्री रामायण जी मनुष्यों को ज्ञान देते हैं कि सभी के सच्चे मित्र श्रीकृष्ण हैं। समुद्र मंथन से एक बार 14 रत्न मिले पर आत्ममंथन ही सबसे बड़ा रत्न है, जिससे परमात्मा प्राप्त होते हैं। श्रीराम...