कोडरमा, सितम्बर 6 -- कोडरमा,वरीय संवाददाता। जैन धर्म का सर्वोच्च पर्व दशलक्षण महापर्व का नवम दिन शुक्रवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जैन धर्मावलंबियों ने इसे "उत्तम आकिंचन धर्म" के रूप में मनाया। पंडित अभिषेक शास्त्री और डॉ. निर्मला दीदी ने अपने प्रवचन में कहा कि दुनिया का कोई भी पदार्थ हमारा नहीं है, ऐसा मानना और जानना ही आकिंचन धर्म है। उन्होंने बताया कि जब बाहर और भीतर एक हो जाते हैं, तभी आकिंचन धर्म खिलता है। यही धर्म परमात्मा का रहस्य प्रकट करता है। दीदी ने कहा कि जीवन में "मैं और मेरेपन" का भाव दुख और वेदना का कारण है। इसलिए जीवन के सार को समझते हुए ममता और विकल्पों का त्याग ही आकिंचन धर्म का आधार है। संसार क्षणभंगुर है, यहां जो भी जोड़ा है वह सब छूट जाएगा। मनुष्य खाली हाथ आया है और खाली हाथ जाएगा, इसलिए स्वयं ...