सिद्धार्थ, जून 6 -- डुमरियागंज, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के धनुवाडीह उर्फ हजिरवा गांव स्थित केवाड़ी समय माता स्थान पर श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन बुधवार की रात कथावाचक आचार्य पंकज चैतन्य शुक्ल ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। इसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। भक्तों को रसपान कराते हुए कथावाचक ने कहा कि जीवन में मित्रता से बड़ा कोई भाव नहीं है। मित्रता में ऊंच-नींच का भाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मित्रता का भाव एक समान होता है। द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के साथ जिस तरह से मित्रता का व्यवहार निभाया वह हमेशा प्रासंगिक रहेगा। श्रीमद्भागवत संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है। भागवत कथा सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है। यह ग्रंथ भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का यह प्रधान साधन...