बिहारशरीफ, सितम्बर 16 -- पेज 4 बॉटम या अन्LL जल-जीवन हरियाली : पंचाने नदी की 50 साल बाद 20 साल पहले हुई थी खुदाई नालंदा जिले के लोगों ने दूरगामी सोच के तहत नदी की उड़ाही कर पेश किया था अनोखा उदाहरण इसकी उड़ाही के पहले तकरीबन हर दिन शहर के लोग कलेक्ट्रेट के समक्ष करते थे प्रदर्शन फोटो : पंचाने नदी : 13 सितंबर 2005 को उड़ाही करते बिहारशरीफ शहर समेत दर्जनों गांवों के लोग। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। तथागत, महावीर, चाणक्य और जरासंध के तातल पैरों को शीतल करने वाली पंचाने इस बरसात मुकम्मल तौर पर रोज बहती रही। इसकी धारा में करीब तीन महीनों से रवानगी कायम है। ऐतिहासिक और पौराणिक नदी पंचाने बाबा मणिराम और मखदूम साहेब के शहर बिहारशरीफ के अस्तित्व का आधार है। पंचाने नहीं, तो बिहारशरीफ नहीं। यही कारण है कि झारखण्ड से बहकर आने वाली पांच नदियों शोभि...