वाराणसी, सितम्बर 22 -- रामनगर (वाराणसी), संवाददाता। भरत की अयोध्यावापसी के बाद अब श्रीराम को वन में आने का प्रयोजन पूरा करना था। तो आगे चलने की राह देखने लगे। उधर देवता तो अपने स्वार्थ में इतने उतावले कि छोटी-छोटी बात पर उनकी निष्ठा ही डोलने लगी। रामनगर की रामलीला के 16वें दिन श्रीराम के चित्रकूट से पंचवटी पहुंचने तक के प्रसंग संपादित किए गए। प्रसंग के अनुसार वन में श्रीराम के बल की थाह लेने के लिए इंद्र का पुत्र जयंत कौवे के वेश में आया। सीता के चरण में चोंच मारकर भागने लगा। सीता के पैर से खून बहते देख राम ने एक बाण मारा। जयंत जान बचाने के लिए देवताओं की शरण में पहुंचा। किसी ने उसकी सहायता नहीं की। अंत में नारद ने उसे राम के पास जाकर क्षमा याचना करने को कहा। शरणागत जयंत की एक आंख फोड़ श्रीराम ने उसे अभयदान दे दिया। राम वन में अत्रि मुनि ...
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