नई दिल्ली, अगस्त 23 -- बहुत पतली या सूखी-सी नदियां भी बारिश में सीना चौड़ा किए बहती हैं। वह नदी भीमा भी यही करती थी। भीमा हर बारिश में उस घर का स्पर्श करती थी, जिसमें उस हठी बालक का जन्म हुआ था। महाराष्ट्र के खेड़ गांव के उस घर में श्रावण मास के एक सोमवार को उसका जन्म हुआ, तो नाम भी शिवजी के ही नाम पर पड़ गया। पंडित ने बता दिया कि बालक भाग्यशाली है, तो सरल हृदय मां अक्सर अपने इस पुत्र को बापू साहब कहने लगीं। जिंदगी आराम से चल रही थी, पर एक दिन उसमें हलचल मच गई। पूरे इलाके में शोर था कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक आए हुए हैं। वह बालक उन्हें सुनने के लिए सबसे पहले पहुंच गया। पहली पंक्ति में बैठकर एक-एक शब्द ध्यान से सुना। जादुई असर हुआ। तीसरी कक्षा का यह बालक किसी अन्य दुनिया में पहुंच गया। एक भाषण से मन न भरा, तो वहां पहुंच गया, जहां तिलक ठहर...