नई दिल्ली, सितम्बर 20 -- केरल हाईकोर्ट ने कहा कि अपनी पत्नियों का भरण-पोषण करने में असमर्थ मुस्लिम व्यक्ति के कई विवाहों को वह स्वीकार नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि यह अदालत किसी भिखारी को भरण-पोषण भत्ता देने का निर्देश नहीं दे सकती। न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने यह टिप्पणी उस समय की जब पेरिंथलमन्ना निवासी 39 वर्षीय एक महिला ने भीख मांगकर गुजारा करने वाले अपने पति से 10,000 रुपये मासिक भरण-पोषण की मांग करते हुए अदालत का रुख किया। अदालत ने याचिका पर गौर किया और पाया कि प्रतिवादी को भीख मांगने समेत विभिन्न स्रोतों से 25,000 रुपये की आय हो रही है, जबकि याचिकाकर्ता ने 10,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगा है। प्रतिवादी फिलहाल अपनी पहली पत्नी के साथ रह रहा है। अदालत ने कहा कि अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी प...
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