बिजनौर, सितम्बर 14 -- यह बात सुनने में अटपटी लगेगी जिस व्यक्ति ने बचपन से चिकित्सक बनने की राह चुनी और बने भी, लेकिन मन में हिंदी साहित्य के प्रति अलग कसक पैदा होती रही। अचानक लेखन की अलख जगी तो एक के बाद एक दो हिंदी काव्य संग्रह लिख डाले। हम बात कर रहे चांदपुर के वरिष्ठ पैथोलोजिस्ट डा. विकास तोमर की जो आज हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना चुके हैं। चांदपुर के गांव काजीशोरा निवासी डा. विकास तोमर उनके पिता गजेन्द्र पाल सिंह साधारण किसान थे। उनकी प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा मेरठ में हुई। वह वहीं पर अपने दादा स्व: कृष्णपाल सिंह के साथ मेरठ में रहते थे जो कि पुलिस इंस्पैक्टर के पद पर थे। बचपन से ही चिकित्सा क्षेत्र में जाने की रहा चुनी लेकिन उन्होने पैथोलोजिस्ट बनने की तैयारी शुरू की, पढाई पूरी करने के बाद उन्होने मेरठ ...