रांची, दिसम्बर 26 -- रांची, संवाददाता। झारखंड करीब 45 हजार हेक्टेयर खनन भूमि के पुनः उपयोग, पारंपरिक ऊर्जा परिसंपत्तियों के बेहतर इस्तेमाल और कम कार्बन उत्सर्जन वाले औद्योगिक मार्गों को बढ़ावा देकर भारत के शुद्ध शून्य (नेट जीरो) लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दिल्ली स्थित शोध संस्थान इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आईफॉरेस्ट) की एक हालिया रिपोर्ट में कोयला, बिजली, इस्पात और अन्य प्रमुख उद्योगों में राज्य के बदलाव की व्यापक संभावनाओं को रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार बंद और गैर-संचालित कोयला खदानों से 11 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि तुरंत उपलब्ध है, जबकि अगले पांच से दस वर्षों में कुल मिलाकर 45 हजार हेक्टेयर भूमि का पुनः उपयोग संभव है। इससे नवीकरणीय ऊर्जा, हरित विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स...