वाराणसी, सितम्बर 17 -- रामनगर (वाराणसी), संवाददाता। केवट तो साधारण नाविक था किन्तु सुन रखा था कि प्रभु के पैर पड़ते ही अहिल्या का उद्धार हो गया। उसे भी डर था कि कहीं प्रभु के पैर पड़ते ही उसकी नाव स्त्री न बन जाये। सो उसने बिना पांव धोए नाव पर बैठाने से इनकार कर दिया। रामनगर की रामलीला में मंगलवार को श्रीराम के माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ गंगा-यमुना पार कर चित्रकूट पहुंचने के प्रसंग जीवंत हुए। प्रभु वन की राह पर बढ़ते गए तो उनकी सहायता के लिए ऋषि-मुनियों का मिलन होता रहा। केवट कठौते में गंगाजल भरकर लाया और पांव पखारकर चरणामृत लेने के बाद उन्हें नाव में बैठाकर पार उतारा। यह देखकर देवता जय जयकार करते हैं। पार उतार कर जब राम उसे मुंदरी (अंगूठी) देकर उतराई देते हैं तो वह नहीं लेता। कहता है कि लौटते समय आप जो देंगे वह प्रसाद समझकर रख लूंगा। ग...
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