नई दिल्ली, अगस्त 23 -- दुनिया के तमाम धर्मों ने सेवा को सर्वोच्च कर्म क्यों कहा? क्योंकि इनके प्रणेताओं को यह एहसास था कि एक दौर आएगा, जब इंसान इतना खुदगर्ज हो जाएगा कि समाज का अस्तित्व ही शायद खतरे में पड़ जाए। समाज को जोड़े रखने और मानव मूल्यों की रक्षा के लिए उन्होंने सेवा, करुणा और परमार्थ को सर्वोच्च धर्म बताया। आज जब अपने ही देश में हम अस्पताल का बिल न भर पाने के कारण शव को बंधक रखने या इलाज न करा सकने के कारण गरीबों के तड़प-तड़पकर मरने की खबरें पढ़ते-सुनते हैं, तो स्वप्निल माने जैसे लोग हमें देवदूत लगते हैं! आज से 43 साल पहले महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव सोनगांव में स्वप्निल पैदा हुए। पिता कॉपरेटिव बैंक में सहायक (चपरासी) की नौकरी करते थे और मां गृहिणी थीं। जाहिर है, पिता की मामूली तनख्वाह में किसी तरह परिवार का गुजारा हो पाता था।...
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