वाराणसी, सितम्बर 9 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। श्रीसंस्थान गोकर्ण पर्तगाली जीवोत्तम मठ के 550वें स्थापना वर्ष पर मठाधीश विद्याधीश तीर्थ स्वामी के चातुर्मास व्रत का समापन सोमवार को हुआ। विद्याधीश तीर्थ स्वामी ने पंचगंगा घाट पर मां गंगा का पूजन-अर्चन किया। मृत्तिका विसर्जित कर आरती की। भगवान बिंदुमाधव का दर्शन कर गोकर्ण मठ लौटे जहां अपने अराध्य रामदेव वीर विट्ठल की पूजा की। मठाधीश विद्याधीश तीर्थ स्वामी ने शाम को प्रवचन सत्र में महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल से आए भक्तों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि काशी में चातुर्मास का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। चातुर्मास की अवधि आध्यात्मिक ऊर्जा, संयम और भक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। इससे भक्तगण परमात्मा के करीब आते हैं। यह आत्म-सुधार, आध्यात्मिक विकास, तपस्या और साधना का महत्वपूर्ण समय...