बुलंदशहर, दिसम्बर 22 -- सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने के लिए विधेयक लाने के प्रस्ताव के विरोध में सोमवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कलक्ट्रेट पर विरोध-प्रदर्शन किया। पूर्व जिलाध्यक्ष सुभाष गांधी, साजिद गाजी, और प्रशांत वाल्मीकि ने कहा कि मनरेगा कोई साधारण योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं और भूमिहीनों के लिए जीवनरेखा है। यह अधिनियम "हर हाथ को काम, काम का पूरा दाम" के सिद्धांत पर आधारित एक अधिकार-आधारित कानून है। जिसने ग्रामीण नागरिकों को 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी दी है। पूर्व जिलाध्यक्ष नरेंद्र चौधरी और पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश भाटी ने कहा कि मनरेगा के नाम से महात्मा गांधी का नाम हटाने का प्रयास भाजपा-आरएसएस की गांधीजी के विचारों...