रामपुर, जून 14 -- अरसे पहले सूख चुकी अरिल नदी को पुनर्जीवित करने का काम युद्धस्तर पर छिड़ चुका है। अरिल नदी के नाम के साथ ही इसके जुड़े मामले ताजा हो गए हैं। कई जिलों में बहने वाली अरिल नदी का नाम कभी खौफ से जोड़ा जाता था। दरअसल, सूख कर कंटीले पेड़-झाड़ियां उगने के कारण यह अरसे तक बदमाशों की शरणस्थली रही। बियांबान जंगली क्षेत्र में लोग जाने से खौफ खाते थे। रामपुर के शाहबाद में पड़ोसी जिले बदायूं, बरेली, मुरादाबाद और संभल की सीमा के चलते बदमाश कहीं भी वारदात के बाद दूसरे जिले की सीमा में अरिल नदी में जाकर छुप जाते थे। शाम होते ही खौफ के चलते लोग वहां से गुजरने में गुरेज करते थे। लूटपाट आम बात थी। पुलिस सीमा विवाद में फंसी रह जाती थी। हालांकि डायल-112 और सत्ता बदलाव के बाद वहां वारदात थमीं और अरिल नदी का नाम खौफ से अलग होता चला गया। अब जब अ...
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