नई दिल्ली, सितम्बर 16 -- रामनारायण श्रीवास्तव नई दिल्ली। बीते लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद एनडीए को मजबूत करने में जुटी भाजपा को अपने सहयोगी दलों के दबाव से जूझना पड़ रहा है। बिहार के विधानसभा चुनावों के पहले जहां 'हम मुखर हो गया है, वहीं उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी, सुभासपा, अपना दल एवं रालोद अपने ढंग से दबाव बढ़ा रहे हैं। तमिलनाडु में भी अन्नाद्रमुक के विभिन्न धड़ों को जोड़ने की भाजपा की कोशिशों का अन्नाद्रमुक की तरफ से विरोध सामने आ रहा है। चुनाव विधानसभा का हो या लोकसभा का, गठबंधन की राजनीति में सीटों के बंटवारे को लेकर मोल-भाव होता ही है, लेकिन जब नेतृत्व करने वाला दल कमजोर पड़ता है तो छोटे दलों का दबाव बढ़ने लगता है। भाजपा की राजनीति में 2014 के बाद से दस साल से जहां भाजपा सहयोगी दलों पर हावी रही और उसके नेतृत्व वाला गठबंधन उसक...