नई दिल्ली। हिन्दुस्तान, जून 2 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का विवाहेत्तर संबंध (एक्सट्रा मैरिटल अफेयर) तब तक क्रूरता या आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जाता, जब तक यह साबित न हो जाए कि इससे पत्नी को परेशानी या पीड़ा हुई है। जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने यह टिप्पणी दहेज हत्या के आरोपी पति को जमानत देते हुए की है।  बेंच ने कहा कि विवाहेत्तर संबंध दहेज हत्या के लिए पति को फंसाने का आधार नहीं है। बेंच ने कहा कि यदि मृतक महिला की मौत का कारण विवाहेत्तर संबंध थे तो इसमें दहेज की मांग बीच में कहां से आ सकती है। किसी एक आरोप पर ही विचार किया जाना उचित है। विवाहेत्तर संबंध व दहेज की मांग के बीच साक्ष्यों पर आधारित संबंध साबित किया जाना चाहिए। पेश मामले में दंपती की शादी को करीब पांच साल हुए थे। 18 मार्च, 2024 को पत्नी ने आत्महत्या क...