बस्ती, अक्टूबर 12 -- कलवारी। वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूर रहता है। माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है। बच्चों को धर्म का ज्ञान बचपन में दिया जाना चाहिए। जिससे वे ध्रुव प्रह्लाद की तरह सद्गृहस्थ के रूप में परिवार, क्षेत्र व राष्ट्र में एक आदर्श स्थापित कर सकें। कोरमा गांव में चल रही नौ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन वाराणसी से आये कथा वाचक पंडित प्रहलादाचार्य ने कही। कथावाचक ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायष्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया। कथा में भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भा...