शामली, जून 13 -- बुच्चाखेड़ी स्थित मैरिज होम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन देवी मीनू वृंदा ने बताया कि प्रभु श्री कृष्ण ने इंद्र का मान मृदन करने के लिए गिरिराज को उंगली पर धारण किया और बृजवासियों की रक्षा की। नारद जी कहते हैं कि कृष्ण अंतर्यामी है और नियता है। अपने आप में स्थित परम स्वतंत्र जगत और उसके अशेष विशेषों, भाव अभाव रूप सारे भेद विभेदों की कल्पना केवल आपकी माया से ही हुई है। अकरूर जी ब्रज यात्रा करते हैं और वे श्री कृष्ण की परम प्रेमी भक्ति से परिपूर्ण हो गये। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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