बोकारो, अक्टूबर 6 -- बोकारो। आदिवासियों के संवैधानिक हक-अधिकार राजनीतिक प्रतिनिधित्व, हिस्सेदारी, नौकरी, आरक्षण, जमीन व आदिवासियों के गौरवशाली संघर्ष-विद्रोहों के इतिहास पर कब्जा करने के लिए कुर्मी जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जनजाति बनने की मांग व आंदोलन चलाया जा रहा है। अमित सोरेन ने बताया कि इसके लिए लोकतांत्रिक तरीके से जबरन रेल ठेका-डहर छेका जैसे कार्यक्रम करके वोट बैंक का डर दिखाकर सरकार से राजनीतिक समझौता करके आदिवासी अनुसूचित जनजाति बनने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए कुर्मी जाति के साथी लोग द्वारा फर्जी लेखन, फर्जी इतिहास, फर्जी सभ्यता को गढ़ करके बड़े जोर शोर से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। कल तक आदिवासियों को नीच, असभ्य ,जंगली कंदमूल खाने वाला कहा जाता था। अपने को अनुसूचित जनजाति बनने के लिए जी जान से लगे हुए हैं। जबकि सभी ऐ...