गया, अगस्त 14 -- आमस के वाजिदपुर गांव निवासी 93 वर्षीय कुलेश्वर यादव ने याद किया कि देश को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद जश्न में शामिल होने के लिए उन्हें पैदल शेरघाटी जाना पड़ा। शहर और गांवों में ढोल-मंजीरा बज रहे थे, हर तरफ आजादी की चर्चा थी। संचार साधनों की कमी के बावजूद रेडियो वाले बुजुर्गों ने लोगों को खबर दी। जैसे ही शेरघाटी में सभा होने की भनक लगी, कुलेश्वर यादव और उनके मित्र घरवालों को बताए बिना निकल पड़े। घर देर शाम लौटे तो दादा ने खूब डांटा, लेकिन जश्न और देशभक्ति के उत्साह ने उस डांट का असर नहीं होने दिया। कुलेश्वर यादव बताते हैं कि उस दिन का जश्न उनके जीवन की अविस्मरणीय याद है। उन्होंने कहा कि हर भारतीय के दिल में देश प्रेम होना चाहिए। अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति के लिए कई सैकड़ों देशवासियों ने कुर्बानी दी, इसे भूलना न...