नई दिल्ली, अक्टूबर 13 -- आज अहोई अष्टमी है। यह पुष्य नक्षत्र और अमृत सिद्धि योग में मनाई जाएगी जो अति शुभकारक है। यह व्रत माताएं पुत्रों की सलामती के लिए रखती हैं। अहोई अष्टमी उसी दिन मनाई जाती है आठ दिन बाद जिस दिन दीवाली होती है। इस दिन माताएं अपनी संतान के लिए इस व्रत को करती है। वह पूरा दिन निर्जल रहकर शाम को तारे को अर्घ्य देकर व्रत खोलती है और अहोई माता से अपनी संतान की दीर्घ आयु की कामना करती है। पारंपरिक रूप से घर की दीवार पर गेरू से माता स्याऊ और उनके बच्चों का चित्र बनाकर पूजा की जाती है। व्रत करने वाली महिलाएं तारों के उदय तक निर्जला व्रत रखती हैं। तारों के उदय के बाद उन्हें अर्घ्य देकर पूजा सम्पन्न की जाती है। चार शुभ संयोग का समय- इस बार की अहोई अष्टमी व्रत पर चार शुभ संयोग बन रहे हैं। अहोई अष्टमी के दिन रवि योग, परिधि योग, श...