हमीरपुर, अक्टूबर 11 -- हमीरपुर, संवाददाता। मां की बीमारी और खराब आर्थिक स्थिति की वजह से इंटरमीडिएट के बाद पढ़ाई छोड़ने का मन बना चुकी बिवांर की सुप्रिया चौरसिया ने अपनी लगन और मेहनत से लेखपाल परीक्षा उत्तीर्ण कर बालिकाओं के सामने नजीर पेश की। इसी तरह तमाम आर्थिक अभावों के बावजूद विदोखर की ज्योति ने भी मेडिकल की पढ़ाई की और अब निजी क्षेत्र में सेवाएं दे रही हैं। ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो बालिका शिक्षा की राह में रोड़ा बनने वालों को अपने इरादे बदलने को मजबूर कर सकते हैं। जनपद के परिषदीय स्कूलों में लगातार बालिकाओं की संख्या बढ़ रही हैं। गतवर्ष कुल पंजीकृत छात्र-छात्राओं में 52 फीसदी बालिकाएं थी। इस साल यह रिकार्ड भी टूटने की संभावना है। किसान की पुत्री ने मेडिकल साइंस में गाड़े झंडे बिदोखर पुरई के एक किसान की बिटिया ने सीमित संसाधनों में मेडिकल स...
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