नई दिल्ली, दिसम्बर 30 -- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक प्रक्रिया में एक बड़ा सुधार करते हुए पहली बार वकीलों की मौखिक दलीलों यानी ओरल आर्गुमेंट्स के लिए सख्त समय सीमा निर्धारित करने का आदेश जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता में जारी इस स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के तहत अब सभी पोस्ट-नोटिस और नियमित सुनवाई वाले मामलों में वकीलों को अपनी दलीलों के लिए पहले से समय सीमा प्रस्तावित करनी होगी और उसका सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा। यानी यह SOP सभी पोस्ट-नोटिस और रेगुलर हियरिंग मामलों में लागू होगी। यह सर्कुलर 29 दिसंबर 2025 को जारी किया गया और यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। एसओपी का मुख्य उद्देश्य अदालती समय का प्रभावी प्रबंधन करना, विभिन्न बेंचों के बीच कार्य घंटों का समान वितरण सुनिश्चित करना और न्याय क...