नई दिल्ली, सितम्बर 13 -- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए अधूरी पड़ी आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक पुनरुद्धार कोष बनाने पर विचार करने को कहा है। अदालत ने कहा कि ऐसी परियोजनाओं के कारण कर देने वाले मध्यम वर्गीय लोगों के लिए घर का सपना अधूरा रह गया है। न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि राज्य का संवैधानिक दायित्व है कि वह एक ऐसा ढांचा बनाए और उसे सख्ती से लागू करे जहां किसी भी डेवलपर को घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी या शोषण करने की अनुमति न हो। पीठ ने कहा कि देश की शहरी नीति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आवासीय परियोजनाएं समय पर पूरी हों। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यह जरूरी है कि रेरा प्राधिकरण सिर्फ 'दंतविहीन शेर न बन जाएं और उन्हें पर्याप्त बुनियादी ढांचे, सशक्त...