सहरसा, दिसम्बर 25 -- सहरसा्, हमारे प्रतिनिधि। शहर की सड़कों का एक अजीब और चिंताजनक रूप रात और दिन के फर्क के साथ सामने आता है। रात के समय वही सड़कें चौड़ी, खुली और सुगम दिखाई देती हैं, जिन पर चलना या वाहन चलाना आसान लगता है। लेकिन जैसे-जैसे सुबह होती है और सूर्य की रोशनी तेज होती जाती है, सड़कें मानो अपनी चौड़ाई खोने लगती हैं। दोपहर बाद हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है। यह नजारा किसी एक सड़क या इलाके तक सीमित नहीं है, बल्कि शहर की मुख्य सड़कों से लेकर मोहल्लों की ब्रांच रोड तक लगभग हर जगह देखने को मिलता है। अतिक्रमण ने छीनी सड़क की सांस : दिन चढ़ते ही सड़कों के दोनों ओर अतिक्रमण का सिलसिला शुरू हो जाता है। कहीं ठेले लग जाते हैं, कहीं अस्थायी दुकानें फैल जाती हैं, तो कहीं निर्माण सामग्री और कचरे का ढेर जमा हो जा...