रांची, अप्रैल 4 -- तोरपा, प्रतिनिधि। भगवान से लेन देन का संबंध भक्त का होना चाहिए। भगवान से केवल हम मांगते हैं देते नही है। भगवान प्रेम के भूखे होते हैं। कलियुग में तो केवल नाम संकीर्तन से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। मंदिर कभी भी खाली हाथ नही जाना चाहिए। उक्त बातें कोलकाता से पधारे पूज्य पाद भक्ति पारंगत महराज ने जगन्नाथ मंदिर तोरपा में हरिकथा करते हुए कही। महराज जी ने कहा मनुष्य के जीवन में सत्संग से ही विवेक की प्राप्ति होती है। बिना सत्संग के मनुष्य विवेक शुन्य हो जाता है। सत्संग की महिमा इतनी बडी होती है कि पापी मनुष्य को भी पुण्य आत्मा बना देता है। उन्होने कहा राम कृपा के बिना कोई साधु संत नही बन सकता है। भगवत कथा सुनने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। महराज जी ने कहा जीवन में प्रभु भक्ति का विशेष महत्व है। प्रभु की भक्ति के बिना हमार...